बेहद कम उम्र में ही महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आए थे योगी गोरक्षनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ और उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ उस गुरु-शिष्य परंपरा के हैं जिनके शिष्य ने अपने गुरु की हर इच्छाओं को पूरा करते हुए उनकी मान-प्रतिष्ठा को और आगे बढ़ाने का काम किया। यह गुरु अवेद्यनाथ ही थे जिन्होंने अपने शिष्य योगी आदित्यनाथ को राजनीति के शिखर पर पहुंचाने में मदद की।
गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जब महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आये तो उनकी उम्र बेहद कम थी। गुरु के संपर्क में आते ही उनको अपनी सेवा से लगातार प्रभावित करते रहे।
गुरु ने भी शिष्य योगी आदित्यनाथ में नेतृत्व के गुणों को पारखी नजर से पहचान लिया और आगे बढ़ाने में हर संभव सहयोग किया। यह योगी आदित्यनाथ का सेवाभाव ही रहा कि तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने उनको अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
महंतजी ( Mahant Avedyanath) ने राजनीति से संन्यास ले लिया और अपने सबसे प्रिय शिष्य ( Yogi Adityanath) राजनीति का उत्तराधिकारी बना दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। 1998 से लगातार पांच बार योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के अजेय सांसद बने।
सांसद से सूबे की मुखिया तक का तय किया सफर गुरुओं का आशीर्वाद ही रहा कि गुरु गोरक्षनाथ पीठ ( Guru Gorakhnath Mandir and Politics) राजनीति का भी सबसे बड़ा शक्ति केंद्र बनकर उभरा। बीजेपी ने 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद यहां के पीठाधीश्वर व पांच बार के अजेय सांसद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद का सबसे उपयुक्त चेहरा मानते हुए उनको सूबे की कमान सौंपी। 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बनें। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर संसदीय सीट रिक्त हुई। लेकिन यह सीट बीजेपी जीत न सकी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद चुनाव की कमान संभाली तो यहां भेजे गए अभिनेता रविकिशन भारी मतों से चुनाव जीत ली।
कभी भी गोरखपुर में आते हैं तो गुरुओं का आशीर्वाद सबसे पहले लेते सूबे की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को अधिकतर समय बाहर ही रहना पड़ता है। लेकिन समय समय पर वह गोरखपुर आते रहते हैं। देश के बड़े राज्य का मुखिया होने के बाद भी उन्होंने कभी परंपराओं ( Guru Shishya) का साथ नहीं छोड़ा। योगी आदित्यनाथ मंदिर, राजनीति, समाजसेवा समेत सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के बावजूद अपनी गुरु की सेवा करने में कभी कोई चूक नहीं किया। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद सपनों को पूरा करने के साथ गुरु-शिष्य परंपरा (Guru Purniama) को निभा रहे। सीएम योगी आदित्यनाथ जब भी गोरखपुर आते हैं तो सबसे पहले गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेते हैं इसके बाद ही कोई काम करते हैं। यह गोरखपुर प्रवास के दौरान उनके कार्यक्रम में शुमार होता है।